अनुक्रमणिका
१ | भारतीय वैवाहिक जीवनाचे स्वरूप | ३९३ | |
२ | संपादकीय | श्रीगुरू म्हणजे बंदा रूपया | ३९४ |
३ | लाल गुंडगिरी | ले. प.पू.कै. अप्रबुध्द | ४०८ |
४ | मल्लीनाथ व रीतितत्व | आचार्य म.रा.जोशी | ४१३ |
४ | महाकवि कालिदास…. | सौ.श्रुतिकीर्ति सप्रे | ४१७ |
५ | योगवासिष्ठ…… | आचार्या श्रीमती विमल पवनीकर | ४२१ |
६ | संस्कृत रशियन साम्य | प्रा.अ.वि.विश्वरूपे | ४२८ |
७ | प्रश्नोतरात्मक पत्रे | प्रज्ञाचक्षु महर्षि गुलाबराव महाराज | ४३२ |
८ | गीता-ज्ञानेश्वरीचे…. | कै.श्री रमेश बावकर | ४३९ |
९ | गीता रहस्यातील….. | वि. वा. प्रा. सौ. राजलक्ष्मी बर्वे | ४४८ |
१० | विज्ञान आणि ईश्वर संकल्पना | आचार्या मधुकर आपटे | ४५२ |
११ | भारतीय संस्कृतीचा…. | श्री.मेघश्याम कृ.सावकार | ४५६ |
१२ | भगव्या वेषातील…. | श्रीमती शैलजा राजवाडे | ४६० |
१३ | ।।दक्षिणामूर्तिस्तोत्रम्।। | डॉ.धनंजय मोडक | ४६६ |
१४ | प्रणवोपासना | कै.भाऊराव वैद्य | ४७३ |
१५ | नेति नेति-इति इति | श्रीमती उषाताई परांजपे | ४८० |
१६ | पूजेची व्याख्या | श्री. चंद्रशेखर पंडित | ४८२ |
पुस्तक परिचय | |||
१८ | Soial Work in…. | अधिवक्ता गोविंदराव आठवले | ४८५ |
१९ | विमोचन समारंभ | वि.वा.प्रा.सौ. राजलक्ष्मी बर्वे | ४८८ |
२० | सस्नेह निमंत्रण | ४९० |