अनुक्रमणिका
१ | भारतीय समाजरचनेचे मूलतत्व | १९७ | |
२ | संपादकीय | श्रावणसरी । आनंदाचे भरते करी ।। | १९८ |
३ | दोन साम्यवाद | ले. प. पू. कै. अप्रबुध्द | २०९ |
४ | मल्लीनाथ | आचार्य म.रा.जोशी | २१९ |
५ | योगवासिष्ठ…… | आचार्या श्रीमती विमल पवनीकर | २२७ |
६ | संस्कृत रशियन साम्य | प्रा.अ.वि.विश्वरूपे | |
७ | जुना दासबोध | श्रीसमर्थरामदासस्वामी | २३८ |
८ | प्रश्नोत्तरात्मक पत्रे | प्रज्ञाचक्षु महर्षि गुलाबराव महाराज | २४१ |
९ | यज्ञीय हिंसा | वै.पू.बाबाजीमहाराज पंडित | २४७ |
१० | गीता-ज्ञानेश्वरीचे…. | श्री.रमेश बावकर | २५३ |
११ | गीता रहस्यातील….. | वि. वा. प्रा. सौ. राजलक्ष्मी बर्वे | २५७ |
१२ | तुका आकाशाएवढा | आचार्या सौ.प्रज्ञा आपटे | २६१ |
१३ | तुलसीदासांचे भावविश्व…. | सौ. रेखा नि. पटवर्धन | २६६ |
१४ | महाकवि कालिदास | सौ.श्रुतिकीर्ति सप्रे | २७० |
१५ | भारतीय संस्कृतीचा…. | श्री. मेघश्याम कृ.सावरकर | २७३ |
१६ | गीता तेज का …. | प्रा.डॉ.संग्राम गोपीनाथ थोरात | २८१ |
१७ | नाथसिध्द भर्तृहरीचा…. | आचार्या पद्मा खांडस्कर | २८७ |
पुस्तक परिचय | |||
१८ | भक्तिरसाचा व्यासंगपूर्ण आस्वाद | प्रा.सुरेश देशपांडे | २९० |
१९ | ऋग्वेद सांख्यायन… | आचार्य म.रा.जोशी | २९३ |
२० | सस्नेह निमंत्रण | २९४ |