अनुक्रमणिका
१ | संपादकीय :शके १९२८ | २ | |
२ | संत साहित्य संमेलन, भंडारा | श्रीश हळदे | ६ |
३ | नाही श्रृति परौती ! माऊली जगा !! | श्रीश हळदे | ७ |
४ | वैदिक सभेचा अमृतमहोत्सव | आचार्य के.रा.जोशी | १० |
५ | शेतकर्यांच्या आत्महत्या | श्रीश हळदे | १५ |
६ | चातुर्वर्ण्य व ब्राम्हण (लेखांक ५ वा) | प्रा.म.शं.वाबगावकर | २२ |
७ | अध्यात्म व संप्रदाय | श्रीश हळदे | २९ |
८ | प्राणायाम – संकल्पना आणि स्पष्टीकरण | प्रा.डॉ.केशव श्रीराम क्षीरसागर | ३२ |
९ | आज्ञापत्र | श्रीमत् शंकराचार्य | ३७ |
१० | मिथ्थैष व्यवसायस्ते | अ.गो.देशपांडे | ४२ |
११ | मेरू व पिरॅमिड पध्दतीच्या वास्तु यांचे तुलनात्मक अध्ययन | श्री.विनय तारे | ४६ |
१२ | तद्योग, व्यंजना आणि प्रतिमा | प्रा.जयश्री शास्त्री | ५२ |
१३ | अप्रबुध्द – एक संस्मरण | ज.गो.मराठे | ५८ |
१४ | पुस्तक परिचय -१,२,३ | ६० ते ७५ | |
१५ | पत्र व्यवहार | ७६ |