अनुक्रमणिका
| १ | वर्णव्यवस्थेचे रहस्य | ९१ | |
| २ | संपादकीय : | ब्रम्हर्षीचे निर्माण | ९२ |
| ३ | प.पू.अप्रबुध्दांच्या कविता | १०३ | |
| ४ | भारतीय विवाहशास्त्र | अप्रबुध्द | १०४ |
| ५ | इतिहासाचार्य राजवाडे | प्रा.म.शं.वाबगावकर | १११ |
| ६ | योगवासिष्ठ | प्रा.श्रीमती विमल पवनीकर | ११६ |
| ७ | ब्रम्हर्षी अण्णासाहेब | बाळकृष्ण ल बडोदेकर | १२२ |
| ८ | भ्रष्टाचाराचे भारतीय मूल्यांकन | श्रीवत्स | १३० |
| ९ | श्री ज्ञानदेवांचे तत्वज्ञान | आचार्य रत्नाकर बापूराव मंचरकर | १३७ |
| १० | जयराशी यांचे प्रत्यक्ष प्रमाणाचे खंडन | आचार्या सौ.उषा गडकरी | १४६ |
| ११ | रा.स्व.संघ. अध्यात्माची कार्यशाळा | अधिवक्ता यशवंत बा.फडणीस | १५१ |
| १२ | ।। कमला ।। | आचार्य सुधाकर देशपांडे | १५० |
| १३ | मंदिराव्दारे वाचनालये आवश्यक | मा.य. गोखले | १६१ |
| १४ | देवयोनी – पिशाच | आ.सौ शैलजा भैद | १६८ |
| १५ | रा.स्व.संघ आणि कार्पोरेट लाइफ | दिलीप देवधर | १६९ |
| १६ | तत्वज्ञान अव्यवहार्य आहे कां? | प्रा.ल.ग.चिंचोळकर | १७१ |
| पुस्तक परिचय | |||
| १७ | Sematic Religions-in the Indian Context | शशांक दि. चितळे | १७७ |
| १८ | ’सज्जनगड’ – दासनवमी विशेषांक | ज्ञानसाधु वासुदेव गोविंद चोरघडे | १७९ |
| १९ | श्री चांगदेव पासष्ठी उर्फ श्री चांगदेवाचा कल्याण योग | आचार्या प्रा.नीला भा. जोशीराव | १८२ |
| २० | दक्षिणामूर्ति स्तोत्र | श्रीश म. हळदे | १८४ |
| २१ | पत्रव्यवहार | प्रा.डॉ.निला जोशीराव | १८६ |




