अनुक्रमणिका
१ | संपादकीय | ९२ | |
२ | प. पू. अप्रबुद्धांच्या कविता | १०८ | |
३ | धर्मशास्त्र | अप्रबुद्ध | ११० |
४ | बहकलेली चमत्कार मीमांसा | कै. ब.स.येरकुंटवार | ११६ |
५ | वेदपाद – स्तुति | वासुदेव गोविंद चोरघडे | १३३ |
६ | योगवासिष्ठातील मन किंवा चित्त (लेखांक २) | श्रीमती विमल पवनीकर | १३७ |
७ | प्रतिक्रिया (४) | १४३ | |
८ | सामाजिक उत्क्रांतीचे तत्त्व आणि जाती व्यवस्था | श्रीवत्स | १५२ |
९ | पूर्णावतार श्री सत्यसाई | पु.वि.त्रिवेदी | १६२ |
१० | जीना | श्रीमती प्रतिभा मुंजे | १६७ |
११ | अंतिम युद्ध = जन्मेजयाचे सर्पसत्र | श्री विनय दिनकर तारे | १७० |
१२ | चिंतेचे चिंतन | वैद्य जयंत देवपुजारी | १८० |