अनुक्रमणिका
| १ | पीठारोहन आचार्यांचे | संपादकीय १ | १५६ |
| २ | प्रा.रज्जुभय्या – चतुर्थ संघचालक यांचे निधन | संपादकीय २ | १५८ |
| ३ | भारताची अखंडता व लोकशाही | गो.मा.कुळकर्णी | १६१ |
| ४ | बुडविती हे नेतेत न देखणे डोळा | वि.शं.गोखले | १६५ |
| ५ | टेलिव्हिजनची जादू | दादुमिया | १७१ |
| ६ | कानडा विट्ठलु | श्रीश हळदे | १७९ |
| ७ | विद्यापीठात ज्योतिषशास्त्र | गो.मा.कुळकर्णी | १८४ |
| ८ | एल्विन : एक टिपण | कै.दुर्गाबाई भागवत | १८७ |
| ९ | अर्जुनस्य दश नामानि | १९२ | |
| १० | पुस्तक परिक्षण | १९४ | |
| ११ | जयदेवाचे गीत – गोविंद !! | २०७ | |
| १२ | व्यासादिकांची उशिटे | २१९ | |
| १३ | वाचे बरवे वाचकत्व – १,२,३,४ | २२२ | |
| १४ | पत्र व्यवहार | १४६ | |
| १५ | संवाद | २२८ |




