अनुक्रमणिका
१ | संपादकीय | २ | |
२ | गुजराथेतील गांधीवादाचा अंत | दादुमिया | ४ |
३ | भांडारकर महाभारत : एक चिकित्सा | प्रा.म.रा.जोशी | ९ |
४ | ’मही’ मूलाधारे कमपि…. | प्रा.विष्णु कुळकर्णी | २० |
५ | विविधतेत एकता – खरा आधार संस्कृत : | प्रा.विश्वरूपे | २४ |
६ | सहजीवनातील काही सुवर्णक्षम स्मृती | चोरघडे,बोकारे, सदाचार | ३१ |
७ | दुर्योधन | वा.द.भवाळकर | ३६ |
८ | वृक्षवल्ली | फणसकर | ३८ |
९ | ’स्त्री मुक्ती’ – वास्तव की कांगावा? | देशपांडे | ३९ |
१० | इंटरनेट | डॉ.घराटे | ४१ |
११ | विदर्भातील एक समृध्द पुरावशेष स्थळ | श्रीपाद के.चितळे | ४२ |
१२ | पुस्तक परिचय : अभिनवम् शास्त्रत्रिदलम्, गीतार्थ रत्नाकर | डॉ.जोशी | ४५ |
१३ | व्यासादिकांची उशिटे | ५२ | |
१४ | ऋग्वेदाचा संदेश : एक बाळबोध गृहपाठ : | ५४ |