अनुक्रमणिका
| श्री नानी पालखीवाला यांच्या मनातील सहा शल्ये | – | १०९ |
| संपादकीय : स्वतंत्र भारताची पुढील वाटचाल | – | १११ |
| स्वातत्र्यांचा सुवर्ण महोत्सव | डॉ.गो.मा.कुळकर्णी | १२० |
| सावरकर साहित्यातील आत्मिक विचार | डॉ.सुधाकर देशपांडे | १२९ |
| संस्कृतचा विकास आढावा व भावी दिशा | डॉ.के.रा.जोशी | १२९ |
| धर्मादर्थश्च कामश्च (पूर्वार्ध) | प्रा.श्री.मा.कुळकर्णी | १३६ |
| निमित्त : पुस्तक परीक्षण लेखाचे | डॉ.के.रा.जोशी | १४३ |
| ’’हिन्दुत्वाची दिशा’’ समिक्षेच्या निमित्ताने | डॉ.गु.वा.पिंपळापूरे | १४६ |
| उद्याचा सूर्य | मा.गो.जामदार | १५४ |
| वाचे बरवे वाचकत्व | – | १५५ |




