अनुक्रमणिका
१ | कालमुक्ती व कालबाहयता | डॉ.ब.स.येरकुंटवार | १३५ |
२ | श्री ज्ञानेश्वरांचा मायावाद | कै. अप्रबुध्द | १३६ |
३ | श्री ज्ञानेश्वराष्टकम् | श्री नरसिंह सरस्वती | १४८ |
४ | संपादकीय श्री नरसिंह सरस्वती स्वामी | डॉ.गु.वा.पिंपळापूरे | १४९ |
५ | स्वकीय विचारवंतांचा धर्मनिरपेक्षतेचा परकीय विचार | डॉ.सुधाकर देशपांडे | १५६ |
६ | भारोपीय भाषा : एक भ्रम (उत्तरार्ध) | प्रा.अ.वि. विश्वरूपे | १६० |
७ | ’पसायदान’ श्री ज्ञानेश्वरांचा भारतीय साम्यवाद | ज्ञानेश्वर साधु | १७० |
८ | व्दितीय दत्तावतार | श्री. वि. ज्ञा. चक्रांकित | १७४ |
९ | वाचे बरवे वाचकत्व | डॉ.गु.वा.पिंपळापूरे | १७६ |
१० | एका अष्टपैलू प्रतिभा पुरूषोत्तमाचा अस्त | डॉ.जगन्नाथ नाईकवाडे | १८५ |