अनुक्रमणिका
१ | स राजोधर्म उच्यते | ४९१ | |
२ | संपादकीय | विवेकसिंधु परमामृत… | ४९३ |
३ | लाल गुंडगिरी | ले प. पू. कै. अप्रबुध्द | ५०२ |
४ | दोन वैद्यके | कै. डॉ. ब. स. येरकुंटवार | ५०७ |
५ | कवि मल्लीनाथ | आचार्य म. रा. जोशी | ५२२ |
६ | महाकवि कालिदास…. | सौ. श्रुतिकीर्ति सप्रे | ५२६ |
७ | संस्कृत रशियन साम्य | प्रा. अ. वि. विश्वरूपे | ५२९ |
८ | प्रश्नोतरात्मक पत्रे | प्रज्ञाचक्षु महर्षि गुलाबराव महाराज | ४३२ |
९ | गीता-ज्ञानेश्वरीचे…. | कै. श्री रमेश बावकर | ५३९ |
१० | गीता रहस्यातील….. | वि. वा. प्रा. सौ. राजलक्ष्मी बर्वे | ५४९ |
११ | स्त्री पुरूष समानता… | श्रीकांत चितळे गुरूजी | ५५४ |
१२ | ईशावास्योपनिषद्…. | डॉ. धनंजय मोडक | ५५७ |
१३ | प्रणवोपासना | कै. भाऊराव वैद्य | ५६५ |
१४ | अर्थाचा अभाव व प्रभाव | सुहास बाक्रे | ५७२ |
१५ | विठू माझा लेकुरवाळा | आचार्या सौ. सारिका ठोसर | ५७७ |
पुस्तक परिचय | |||
१६ | मोदिनॉमिक्स | संजय परांजपे | ५८० |
१७ | ईश्वर पूजा कां? | सौ. ममता गद्रे | ५८३ |
१८ | काव्यसंग्रह – झुळुक | प्रा. सुरेश देशपांडे | ५८४ |
पत्रव्यवहार | |||
१) आचार्या सौ सारिका ठोसर | ५८६ | ||
२) वि. वा. प्रा. सौ. राजलक्ष्मी बर्वे | ५८७ |