अनुक्रमणिका
| १ | वेदांचे महत्व | श्री अरविंद | ३२५ |
| २ | वेळीच सावध व्हा (लेखांक ४) | कै. अप्रबुध्द | ३२६ |
| ३ | प्रज्ञालोक ची कैफियत | संपादकीय | ३३१ |
| ४ | बुध्द्यातीत ज्ञान, इंद्रियातीत अनुभव व मस्तिष्कबाह्य स्मरण | य.ज.महाबळ | ३४२ |
| ५ | देवी सीता (उत्तरार्ध) | प्रा.श्री.मा.कुळकर्णी | ३४६ |
| ६ | शंका-समाधान | तत्वदर्शी | ३५६ |
| ७ | एक पृच्छा | ग.ध.धारप | ३६४ |
| ८ | ’कालोऽस्मि’ लोकक्षयकृत प्रबुध्द(कविता) | ज्ञानेश्वर साधु | ३६५ |
| ९ | स्वामी !………. पुढे ? | डॉ.ब.स.येरकुंटवार | ३६६ |
| १० | ’संस्था परिचय | श्रीपाद के. चितळे | ३८३ |




