अनुक्रमणिका
१ | डॉ.काण्यांचा निष्कर्ष : ब्राह्मण व जातीसंख्या | ९७ | |
२ | संवाद : राष्ट्रीयत्व व ब्राह्मण | डॉ.ब.स.येरकुंटवार | ९८ |
३ | परदेशातील संस्कृत अध्यापनाचे माझे अनुभव | म.त्र्यं.सहस्त्रबुध्दे | ११६ |
४ | ’’भारतातील धार्मिक स्वातंत्र्य निर्दोष करणे राष्ट्रीय एैक्य एकात्मतेस आवश्यक’’ | ना.गो.नामजोशी | १२० |
५ | काळ, वेळ आणि अवकाश | प्रा.शंकर गजानन सहस्त्रभोजने | १३० |
६ | अशी पाखरे येती….! | डॉ.ज.धु.नाईकवाडे | १३५ |