अनुक्रमणिका
| १ | योगशास्त्र | कै. अप्रबुध्द | १५७ |
| २ | योगाचा संशोधन कार्यात उपयोग | अप्रबुध्द | १५८ |
| ३ | गोगल गाय | श्री गजानन देशमुख | १७१ |
| ४ | कुंडलिनी-योग | डॉ.ब.स.येरकुंटवार | १७४ |
| ५ | अमृत-कलश | डॉ. शरच्चंद्र भगत | १८१ |
| ६ | उगवती क्षितिजं | प्रा.रविंद्र परेतकर | १९० |
| ७ | रामराज्य : एक दर्शन | प्रा.गु.वा.पिंपळापूरे | १९३ |
| ८ | सूरदास (पूवार्ध) (कविता) | श्री. बा.पू. दामले | १९८ |
| ९ | अप्रिय पण पथ्य | – | २०० |




