अनुक्रमणिका
१ | श्री गणेश देवता | २८७ | |
२ | संपादकीय : | शेतकर्यांच्या आत्महत्या(लेखांक -२) | २८९ |
३ | प.पू.अप्रबुध्दांच्या कविता | अप्रबुध्द | २९८ |
४ | भारतीय विवाहशास्त्र | अप्रबुध्द | २९९ |
५ | प्रतिक्रिया | प्रा.म.शं.वाबगावकर | ३०४ |
६ | योगवासिष्ठ -वसिष्ठांची अनुभूती – रूद्ररूपदर्शन | विमल पवनीकर | ३०८ |
७ | श्रीमान हजारेंचे आंदोलन व सामान्य जनतेची भूमिका | श्रीवत्स | ३१४ |
८ | लोकमान्य बाळ गंगाधर टिळक- आगळया वेगळया व्यक्तीमत्वाचा जाणता नेता | अधि.वि.शं.गोखले | ३१९ |
९ | ब्रम्हर्षी अण्णासाहेब पटवर्धनांचे जमीनीच्या मालकी संबधी (वैदिक विधि/न्याय ) विचार | बाळकृष्ण ल वडोदकर | ३२५ |
१० | मंदिराद्वारे वाचनालये आवश्यकच | मा.य.गोखले | ३३२ |
११ | सज्जनगडावरील मंदिरे व मोंगल | प्रा.म.रा.जोशी | ३३९ |
१२ | दलित संतांचे संतत्व उलगडून दाखविणारा कविवर्य | श्रीराम रघुनाथ अळेकर | ३४७ |
१३ | चार्वाक | आ.सौ.उषा गडकरी | ३५१ |
१४ | देवयोनी – सिध्द | आचार्या सौ.शैलजा भैद | ३५५ |
१५ | ’कान्तिमाला’ -श्रीमत् भागवतावरील एक टिकाग्रंथ | आ.मुकुंद ना.देशपांडे | ३५७ |
१६ | ।। कमला ।। | आचार्य सुधाकर देशपांडे | ३६२ |
१७ | भगवद्गीता आणि गणेशगीता | आचार्य के.वा.आपटे | ३६६ |
१८ | पुस्तक परिचय | ||
१) समर्थाचां प्रपंचबोध | डॉ धनंजय मोडक | ३७१ | |
२) समर्थाचां परमार्थ प्रबोध | डॉ धनंजय मोडक | ३७३ | |
३) समर्थांचा विविध विचार शलाका | डॉ धनंजय मोडक | ३७६ | |
४) संघ प्रार्थनाकार | ज्ञानसाधु वासुदेव गोविंद चोरघडे | ३७९ | |
५) वे.मू.अनंत शास्त्री | सौ.अंजली रानडे | ३८३ |