अनुक्रमणिका
१ | वैदिक प्रणालीका | ९५ | |
२ | संपादकीय | संकेतरेखा नव भारतस्य | ९६ |
३ | प.पू. अप्रबुद्धांच्या कविता | १०८ | |
४ | श्रीशंकराचार्यांचे पुण्यस्मरण | ले. अप्रबुद्ध | १०९ |
५ | अंक २१४-२१५ चे समालोचन | प्रा. म. शं. वाबगावकर | ११६ |
६ | योगवासिष्ठ-जीवाचे स्वरूप | आ. विमल पवनीकर | १२३ |
७ | ज्ञानेश्वरीतील विश्चोत्पत्ती विज्ञान | प्रा. अद्वयानंद गळतगे | १२९ |
८ | लुटणाऱ्या प्राप्तीकरामुळे… | ज्ञानयोद्धा दिलीप देवधर | १३५ |
९ | पति-पत्नीच्या पत्रिकेतील एकनाडीदोष | प्रा. ना. कृ. भिडे | १३७ |
१० | शाकुंतल संपादणी: काही प्रश्न व समस्या | प्रा. म.रा. जोशी | १४० |
११ | श्रीकृष्णच्या वैवाहिक जीवनातील कर्मयोग | नी. वा. घोटकर | १४५ |
१२ | अठराव्या शतकातील भारतीय शिक्षण | सौ. प्रज्ञा शरद देशपांडे | १५० |
१३ | देवयोनी | आ. सौ. शैलजा भैद | १५२ |
१४ | कमला | आचार्य सुधाकर देशपांडे | १५४ |
१५ | जिवंत कोण? | न. ना. गोखले | १५७ |
१६ | भारतीय फिलीपीन्स | विनय तारे | १६० |
१७ | प्रतिक्रिया-१ | डॉ. भा. वि. देशकर | १६४ |
१८ | प्रतिक्रिया -२ | र. ग. दांडेकर | १६६ |
१९ | पुस्तक परिचय | ||
२० | १. कैवल्य | सौ. ममता गद्रे | १६७ |
२१ | २. हिंदू धर्माची वैज्ञानिकता | ज्ञानसाधू वा.गा. चोरघडे | १६९ |
२२ | ३. इतिहासाचार्य वि. का. राजवाडे | र ग.दांडेकर | १७२ |
२३ | स्वामी वरदानंद भारती व्याख्यान्माळा | ग. प्र. परांजपे | १७६ |
२४ | पत्रव्यवहार | १८९ | |
२५ | दीनतारहित आयुष्य | वैद्य जयंत देवपुजारी | १८४ |