अनुक्रमणिका
१ | राष्ट्रीय शिक्षण | संपादकीय | १५० |
२ | भारतातील सत्तांतर | गो.मा.कुळकर्णी | १५३ |
३ | आद्य शंकराचार्यांची जन्मतिथी | अॅड.प्र. व्यं.होले | १५६ |
४ | असे झाले असते तर किती बरे झाले असते ! | गो.श्री.बनहट्टी | १६३ |
५ | आनंदयात्री गुरूदेव : एक सौंदर्यवेध | प्रा.जयश्री शास्त्री | १६५ |
६ | प्रतिक्रिया | सुधाकर फणसाळकर | १७० |
७ | श्री ज्ञानेश्वरीतील माऊली | आचार्य प्रभाकर प्र.आग्रे | १७३ |
८ | स्वात्मसौख्य ग्रंथाचे हवन | अंजली रानडे व माधुरी रूद्र | १८२ |
९ | पुस्तक परिचय १,२,३ | – | १८६ |
१० | वेदांचे अपौरूषेयत्व | आचार्य गुणाकर पिंपळापूरे | १९७ |
११ | व्यासादिकांची उशिटे १,२ | – | २०८ ते २११ |
१२ | वाचे बरवे वाचकत्व | – | २१२ |