अनुक्रमणिका
१ | चमत्काराचे प्रयोजन | कै. अप्रबुध्द | ११९ |
२ | ’करू’ आवडीने वाद ! | संपादकीय | १२० |
३ | ’उभी सुंदरी सांग पां कोण आहे’ ? | हरिहर पुनर्वसु | १२९ |
४ | ’करू आवडीने वाद !’ : २ | संपादकीय | ११३ |
५ | सुर्यग्रहण व भारतीय शास्त्रे | तत्वदर्शी | १४१ |
६ | ’करू आवडीने वाद’ ! : ३ | संपादकीय | १४७ |
७ | बहकलेली चमत्कार -मिमांसा | डॉ.ब.स.येरकुंटवार | १५४ |
८ | आश्वासन | ज्योतिर्भास्कर जयंत साळगावकर | १६३ |
९ | प्राचीन भारतविद्येचे यथार्थ दर्शन | डॉ.गु.वा.पिंपळापूरे | १६४ |
१० | भाजपचा अश्वमेध इ. | – |