अनुक्रमणिका
| १ | मनसि च परितुष्टे कोऽर्थवान को दरिद्र :- भर्तृहरी | विवेकानंद | १ |
| २ | भारतीय मतदार सज्ञान झाला | डॉ.गो.मा.कुळकर्णी | २ |
| ३ | पुन्हा एकदा राष्ट्रमिमांसा | डॉ.ज.दु.नाईकवाडे | ६ |
| ४ | चीनची साम्यवादी वाटचाल | भ्रमर | १६ |
| ५ | अमेरिकेतली काही वर्षे | सौ.इंदुमती म.सहस्त्रबुध्दे | २० |
| ६ | आजच्या अर्थकारणाचा आकृतिबंध | प्रा.सतीश शं.शास्त्री | २६ |
| ७ | काही शंका | श्री.उत्तम कानिटकर | ३० |
| ८ | मंत्रविद्येचे मानवी जीवनातील स्थान (लेखांक-३) | डॉ.ब.स.येरकुंटवार | ३३ |
| ९ | मुळकिंकाळी | – | ४४ |
| १० | योग व पुनर्जन्म विषयक संशोधन | – | ४७ |




