अनुक्रमणिका
१ | सुत्रे मणिगणा इव ! | न.रा.परांजपे | १ |
२ | जनता पक्षाचे आर्थिक धोरण | डॉ.वि.श्री.खांदेवाले | २ |
३ | अप्रिय पण पथ्य : उद्बोधक पत्रव्यवहार | डॉं.जोशी, डॉ.ब.स.येरकुंटवार | ९ |
४ | बेड नं ५ (विराग) (कथा) | डॉ.त्र्यं.गो.पंडे (विराग) | १८ |
५ | अमृत-कलश | डॉ.शरच्चंद्र भगत | २३ |
६ | सत्य तर हे आहे | पं. दिनदयाल उपाध्याय | २९ |
७ | नवयुगाची बिजाक्षरे : येथे समस्त बहिरे नसतील लोक ! | डॉ.ब.स.येरकुंटवार | ३१ |
८ | मराठी वाड्ःमयेतिहास | डॉ.प्रा.म.रा.जोशी | ३४ |
९ | आमची पूराणे | अप्रबुध्द | ३७ |
१० | भारतीय धारणा समिती वृत्तविशेष | प्रा.गु.बा.पिंपळापूरे | ५० |
११ | शरदाचं चांदणं | सौ.शैलजा पंडे | ५३ |
१२ | पुस्तक – अभिप्राय | डॉ. त्र्यं.गो. पंडे | ५६ |