अनुक्रमणिका
| १ | रामराज्य | श्री समर्थ रामदास | १ |
| २ | संकेतरेखा नवभारतस्य | संपादकीय | २ |
| ३ | कुंभाराची सून उकिरड्यावर आली | कै. अप्रबुध्द | ११ |
| ४ | अध्यात्माचे लोकशाहीकरण : श्री अरवीदाच्या दृष्टीकोण | डॉ ल. चिंचोळकर | २१ |
| ५ | बस मधले भाऊ | प्रा. गु. वा. पिंपळापूरे | २४ |
| ६ | वैदिक नारीचे दर्शन | प्रा.कु.बी.एस.गोडसे | २८ |
| ७ | भारतीय संस्कृतीचे पाझर | – | ३३ |
| ८ | राम झरोका | आत्र्जनेय | ३६ |
| ९ | पुढच्यास ठेच | वि श्री. गोखले | ४० |
| १० | अप्रिय पण पथ्य | – | ४३ |
| ११ | समांतर रेषा (कविता) | कु. माया फाटे | ४६ |
| १२ | श्रध्दांजली | – | ४७ |




