अनुक्रमणिका
१ | संपादकीय | २-४ | |
२ | संस्कार | श्री अप्रबुद्ध | ५-१२ |
३ | साक्षरता आणि चरितार्थ | प्र.ना.अवसरीकर | १३-१६ |
४ | एक उद़्बोधक पत्रव्यवहार | नानासाहेब देशपांडे | १७-२२ |
५ | अर्थशास्त्राचा आधार- धर्मशास्त्र | प्रा. अरविन्द स. जोशी | २३-२७ |
६ | सारेच भांडवलदार | प्रा. पां. कृ. सावळापुरकर | २८-३१ |
७ | शंका समाधान | तत्वदर्शी | ३२-३८ |
८ | शब्द प्रामाण्य व प्राचीन भारतीय वाङ्मय | नारायण शास्त्री द्रविड | ३९-४५ |
९ | शक्तिसाधना | भा.ह.मुंजे | ४६-५३ |
१० | प्रेम देई तें … ! (कविता) | कवि स्वच्छंद | ५४ |
११ | ’न उलगडणारे कोडे’ | सौ. मालती फडणवीस | ५५-५८ |
१२ | मनुप्रणीत जीवनदर्शनाची प्रत्यक्ष मुर्ति : साक्षात्कारी पंडित व रसिक अप्रबुद्ध | – | ५९ |