अनुक्रमणिका
१ | मंत्र आणि देवता | ३८५ | |
२ | संपादकीय : | शेतकर्यांची आत्महत्या(लेखांक -३) | ३८६ |
३ | प.पू.अप्रबुध्दांच्या कविता | अप्रबुध्द | ३९५ |
४ | भारतीय विवाहशास्त्र | अप्रबुध्द | ३९६ |
५ | गीता सुगीता कर्तव्या | प्रा.म.शं बावगावकर | ४०४ |
६ | ब्रम्हर्षी अण्णासाहेब पटवर्धनांचे जमीनीच्या मालकी संबधी (वैदिक विधि-न्याय ) विचार | बाळकृष्ण ल वडोदकर | ४०९ |
७ | मंदिराव्दारे वाचनालये आवश्यकच | मा.य.गोखले | ४१९ |
८ | ।। कमला ।। | आचार्य सुधाकर देशपांडे | ४२५ |
९ | भागवत सप्ताह | ४२७ | |
१० | श्री ज्ञानेश्वराष्टकं स्त्रोतम् | आ.श्रीमती विमल पवनीकर | ४२८ |
११ | पत्रव्यवहार | विठ्ठल माधव पागे | ४३० |
१२ | योगवासिष्ठ – वसिष्ठांची अनुभूती रूद्राची छाया | आचार्या विमल पवनीकर | ४३४ |
१३ | श्रीमान हजारेंच्या आंदोलनाची (उत्तर) दिशा | श्रीवत्स | ४४० |
१४ | चार्वाक | आ.सौ.उषा गडकरी | ४४८ |
१५ | संतकवी श्री दासगणू महाराज | वि.वा.ग.प्र.परांजपे | ४५२ |
१६ | मन करा रे प्रसन्न सर्व सिद्धीचे कारण | आचार्या सौ सारिका ठोसर | ४५५ |
१७ | महाराष्ट्राची माऊली विठाई | आचार्या जयश्री प्रकाश शास्त्री | ४६० |
१८ | गुणमिलन का मनोमिलन | मधुकर द. सुखात्मे | ४६५ |
१९ | श्री नरहरी नारायण भिडे | दत्तात्रय रामचंद्र जगम | ४६९ |
पुस्तक परिचय | |||
२० | पुनर्जन्म – भगवद्गीतेतील विवेचन | सौ.श्रुतिकिर्ती विनय सप्रे | ४७३ |