अनुक्रमणिका
| शिव – प्रताप | रविन्द्रनाथ ठाकुर | १६७ |
| संपादकीय : सांसदीय अ-शिष्टाचार | (सं) | १६८ |
| ह्रदयाचे शरीर रचनेत स्थान | श्रध्देय प.प.श्रीवरदानंन्द भारती | १७३ |
| धर्मादर्थश्च कामश्च (उत्तरार्ध) | प्रा.श्री.मा.कुळकर्णी | १७७ |
| थॉमस कार्लाईल | डॉ.सो.लिलाताई देशपांडे | १८६ |
| प्राचीन भारतातील साहित्यात विज्ञान | श्रीपाद केशव चितळे | १९० |
| मानाचा मुजरा | डॉ.जगन्नाथ नाईकवाडे | १९३ |
| व्यष्टी आणि समष्टी (व्यक्ती आणि समाज) | भय्याजी गाडे | १९४ |
| वाचे बरवे वाचकत्व | – | १९७ |
| पुस्तक समीक्षण | – | २०४ |
| हरप्पाच्या मुद्रावरील अक्षरांची ओळख | – | २०७ |
| यवतमाळचे विदर्भ साहित्य-संमेलन | डॉ.गु.वा.पिंपळापूरे | २०९ |
| आचार्य कुलासारखे बिगर-राजकीय व्यासपीठ हवे | वि. शं. गोखले | २१५ ते २२० |




