अनुक्रमणिका
| १ | विवेकानंद काय म्हणतात ? | – | ११३ |
| २ | पंचांगवाद | ले. अप्रबुध्द | ११४ |
| ३ | ’न्याय-मंदिरा’त | ले समीक्षक | ११९ |
| ४ | नवा अवतार ! | ले. वंचित | १२९ |
| ५ | शंका -समाधान | ले. तत्वदर्शी | १३६ |
| ६ | हा भ्रम तर नाही ना ? | ले डॉ.शरदचंद्र भगत | १४२ |
| ७ | स्वामी रामतीर्थांची एक बोधप्रद आठवण | डॉ. त्र्यं.गों.पंडे | १४८ |
| ८ | ’नरेचिं केला क्षीण किती नर! | ले बाळ पाईक | १५२ |
| ९ | दुर्देव माझे, मी ब्राह्मण झालो ! | – | १६४ |
| १० | विद्यार्थी – असंतोष | ले. वि.श्री. गोखले | १६५ |
| ११ | गोवधबंदीचे वाढते आंदोलन | – | १६७ |
| १२ | दोन रसांची समकालीन दलाली ! | आत्र्जनेय | १६८ |




